"अगर देश को बदलना है तो गुरुकुल पद्धति की शिक्षा अनिवार्य है । संस्कृति का देशव्यापी अभियान चलाकर इस देश में सांस्कृतिक जागरण का महायज्ञ भी साथ में करना चाहिए और हमें लगता है की हमारे उत्तमभाई का प्रयास भारत को भारत बनाकर रहेगा ।"
- डॉ. प्रवीण तोगड़िया (अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष - विश्व हिन्दू परिषद्)
"हेमचंद्राचार्य संस्कृत पाठशाला - गुरुकुलम् के विद्यार्थियों की प्रज्ञा, कुशलता, भाषा, परिवेश आदि मैंने एक कार्यक्रम में प्रत्यक्ष देखें हैं, जो कि अद्भुत हैं । ऋषिकालीन शिक्षा परम्परा, प्राचीन विद्या, विद्यार्थीयों की प्रज्ञा, लोक संस्कृति, धर्म रक्षा आदि आदर्शों को साकार करने का यहाँ हो रहा भागीरथ प्रयत्न अभिनंदन के योग्य है । मैं इस गुरुकुलम् की सर्वोत्तम सफ़लता की कामना करता हूँ ।"
- श्री भूपेन्द्रसिंह चुडासमा (शिक्षा मंत्री - गुजरात राज्य)
आज़ादी के बाद पहली बार हिन्दुस्तान में जन्म लिया और हिन्दुस्तान में साँस ले रहें हो ऐसा अनुभव हो रहा हैं । यह संस्कृत पाठशाला का दिव्य विचार समग्र विश्व में फैला जाए और मैकाले पद्धति जो पशुता की और ले जा रही है उसका सत्यानाश हो जाए ।
- पू. आत्मानंद सरस्वतीजी (राष्ट्र प्रेमी संत - बोटाद)
गुलामी की जंजीरें तब टूटेगी, जब भारत का हर युवा प्राचीन गुरुकुल परम्परा से पढ़कर अपनी संस्कृति और अपनी परम्पराओं पर गर्व करेगा तब भारत फ़िर से विश्वगुरु बनेगा, आज की तरह कंगाल नहीं ।
- श्री विनीतजी नारायण (वरिष्ठ पत्रकार)
पिछले ६०-६५ सालों में मैंने ऐसा पूर्ण गुरुकुल कहीं नहीं देखा । ये जो बच्चें हैं वे प्रतिभा की खदान हैं, अगर ऐसे बच्चें हर साल ५-१० लाख भी पैदा हो जाएँ, तो १८-२० करोड़ हमारे जो विद्यार्थी निकलते हैं, सबका जीवन प्रकाशित हो जाए ।
- डॉ. वेदप्रतापजी वैदिक (वरिष्ठ पत्रकार)
स्कूल कैसे चाहिए तो यह स्कूल देख लीजिए, गुरु कैसे चाहिए तो यह गुरु देख लीजिए और विद्यार्थी कैसे चाहिए तो यह विद्यार्थी देख लीजिए । सब कुछ यहाँ हैं । मैं सरकार को यह लिख के भेजने वाला हूँ की देखो यहाँ आकर की शिक्षा का स्कूल कैसा होना चाहिए, किस तरह शुरुआत करनी चाहिए, यहीं है, सब कुछ इधर ही हैं ।