महर्षिओं द्वारा प्रस्थापित पुरुषों की ७२ एवं स्त्रीयों की ६४ कला आधारित श्रेष्ठ आर्य शिक्षा ।
‘साबरमती-गुरूकुलम्’ (हेमचन्द्राचार्य संस्कृत पाठशाला) में ऋषिमुनिओं द्वारा प्रतिपादित प्राचीन विद्याओं एवं विविध शास्त्रों का अध्ययन कराया जाता है ।
अधिक पढ़े‘साबरमती - गुरूकुलम्’ (हेमचन्द्राचार्य संस्कृत पाठशाला) में विभिन्न प्रकार की जीवन-उपयोगी कलाओं एवं प्रवृत्तियों का अभ्यास कराया जाता है ।
अधिक पढ़ेविविध प्रकार के प्रशिक्षण द्वारा मानसिक और शारीरिक संतुलन, निडरता एवं एकाग्रता आदि गुणों का विकास हो ऐसी क्रियाओं का अभ्यास कराया जाता है ।
अधिक पढ़ेगुरूकुलम् के छात्रों की दिनचर्या आधुनिक विकृतियों से दूर, आर्य परम्पराओं के आचार-पालन के साथ और जैविक (रासायनिक-जंतुनाशक रहित) आहार सहित सु-व्यवस्थित की गई है ।
अधिक पढ़े‘साबरमती-गुरूकुलम्’ (हेमचन्द्राचार्य संस्कृत पाठशाला) आर्यशिक्षण प्राप्त करने के लिए श्रेष्ठ विकल्प है । यह संस्था आधुनिक विनाशकारी मेकोले शिक्षा-पद्धति से देश को मुक्त करवाने के लिए प्रयत्नशील है । व्यक्ति-निर्माण से कुटुम्ब-निर्माण, कुटुम्ब-निर्माण से समाज निर्माण, समाज निर्माण से राष्ट्र-निर्माण एवं राष्ट्र-निर्माण से विश्वनिर्माण करने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग करने के लिए कटिबद्ध है ।
हम मानते हैं कि इस ‘गुरूकुलम्’ से प्रशिक्षण प्राप्त करके बाहर आए हुए विद्यार्थी ‘मेकोले-पुत्र’ नहीं, किन्तु ‘महर्षि-पुत्र’ बनकर भारत को जगद्गुरु बनाने में अपना योगदान करेगे ।
विद्यार्थीओं को इस पाठशाला में तत्त्वज्ञान, प्रभुभक्ति के संस्कारों के साथ-साथ संस्कृत, हिंदी, गुजराती, अंग्रेजी, गणित, वैदिक गणित, आयुर्वेद, ज्योतिष्, धर्म शास्त्र, न्याय शास्त्र, नीति शास्त्र, वास्तु शास्त्र (Architechture), संगीतकला (गीत-नृत्य-वादन), अभिनय/नाट्य कला, चित्रकला, हस्तलेखन कला, नामा लेखा (Account), परा मेधा (Mid-brain), आयोजन-प्रबन्ध (Management), योगाभ्यास, इतिहास, भूगोल, पोल/रोप मलखम, कराटे, मार्शल आर्ट, अश्वसंचालन कला (Horse riding), कुस्ती आदि सिखाया जाता है ।
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ध्वस्त हुई प्राचीन शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित किए बिना भारतीय प्रजा एवं संस्कृति का समुद्धार असंभव है । गुरुकुलम् एक संस्कारी, समृद्ध एवं सुखी राष्ट्र-निर्माण के महायज्ञ का यजमान है ।
श्रेष्ठ शाला
गोबर से लिंपा हुआ संकुल, अंतरिक्ष जल का संचय, जैविक (ओर्गेनिक) खानपान और देशी गाय के दुग्ध एवं धृत सहजता से यहाँ उपलब्ध है । यहाँ का वातावरण छात्रों में दिव्य चेतना का संचार करता हैं ।
श्रेष्ठ शिक्षक
अपने अपने क्षेत्र में जिन्होंने उच्च कीर्तिमान प्रस्थापित किये है ऐसे गुणवान् एवं चारित्रवान् गुरुजन यहाँ पर शिक्षा प्रदान करते हैं । तन, मन एवं आत्मा का सुख प्रदान करें ऐसी शिक्षा देने के लिए कटिबद्ध हैं ।
श्रेष्ठ शिक्षा
यहाँ विद्या, कला, कौशल्य, शौर्य एवं पराक्रम की शिक्षा से छात्रों के जीवन को प्रशिक्षित किया जाता हैं । महर्षियों द्वारा प्रस्थापित पुरुषों की ७२ कला आधारित श्रेष्ठ प्रशिक्षण दीया जाता हैं ।
श्रेष्ठ संस्कार
न्याय, नीतिमत्ता, प्रामाणिकता, सदाचार, संतोष, मैत्री एवं नम्रता जैसे गुणों का विकास एवं उच्च नैतिक मूल्यों से समाज एवं परिवार का गौरव बढ़ा शके ऐसे सशक्त छात्रों का निर्माण हमारी प्राथमिकता हैं ।